बुधवार, 28 अगस्त 2013

आए हैं घनश्याम



1-पुष्पा मेहरा
1
जन्मे हैं श्याम
नाच रहे हैं मोर
करें भेंट वे पंख,
बाँस - वनों में
मन ही मन कहें-
मुरली तो बनूँ  मैं ।
2
झूमा कदम्ब
लचकतीं डालियाँ
कर रहीं नमन,
धुले - पत्र ले
भक्ति-भाव -भरा वो
बजा रहा मँजीरा ।
3
प्रसन्न मन
आए हैं घनश्याम
बजाएँगे बाँसुरी,           
रचेगा रास
हरषेगी राधिका
थिरकेंगी गोपियाँ ।
-0-
2-कृष्णा वर्मा
 1
श्याम सलोने
आनन छवि ढाँपे
कुंतल मेघ
दरस को तरसें
ग्वाल गोपियाँ देख।
2
ओ वंशीधर
हुए  निठुर तुम
क्यों कर भूले
तट पे राधा रोए
प्रतीक्षा में अकेले।
3
नंद किशोर
श्याम चित्तचोर क्यों
जिया चुराया
राधा भई दीवानी
निज होश गँवाया।
4
ओ पीताम्बर
चुरा लिया रे चित्त
हुई दीवानी
करें नैन चपल
मन में हलचल।
5
कुटिल केश
कुंडल -किरीट ये
तुझ पे सोहे
जब बजाओ वंशी
ये राधा सुध खोए।
6
रास रचाए
गोपियाँ संग कान्हा
ज्यों बाल खेलें,
निर्लिप्त निर्विकार
निज प्रतिबिंब से।
7
कैसी बावरी
साँवरे की बाँसुरी
नेह लगाया
होंठों से लगने को
सीना भी  छिदवाया।
-0-

7 टिप्‍पणियां:

Subhash Chandra Lakhera ने कहा…

पुष्पा मेहरा जी और कृष्णा वर्मा जी, आप दोनों को जन्माष्टमी पर्व से जुड़े भावपूर्ण सेदोका और तांका के सृजन के लिए हार्दिक बधाई और पर्व के लिए शुभकामनायें!

Manju Gupta ने कहा…

वाकई जन्माष्टमी को कृष्णा जी , पुष्पा जी ने कृष्णमय कर दिया . बधाई .

सब का जीवन कान्हा में रंग जाए .

जन्माष्टमी शुभकामनाओं के साथ -

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ताँका, तथा सेदोका के रूप में ... कृष्णा वर्मा जी व पुष्पा मेहरा जी!
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ !:)
~सादर!!!

pardeepsharma ने कहा…

bohot hi pawaan haiku visheshkar-
जन्मे हैं श्याम
नाच रहे हैं मोर
करें भेंट वे पंख,
बाँस - वनों में
मन ही मन कहें-
मुरली तो बनूँ मैं ।

कैसी बावरी
साँवरे की बाँसुरी
नेह लगाया
होंठों से लगने को
सीना भी छिदवाया।
aap dono ko hi janamashtmi ki dhero badhai....n sundar bhet ke liye dhanyawaad.......

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

मनभावन...बहुत अच्छे...आप दोनों को बधाई...|
प्रियंका

Pushpa mehra ने कहा…

krshnaji apke tanaka bahut achhe likhe hain vishesh roop se nij pratibimb ka bhulna aur bhgwan ke adhramrit ka pan karane ke liye siina chidvana.badhai .pushpa mehra.

ज्योति-कलश ने कहा…

कृष्ण भक्ति से भरी बहुत सुन्दर मधुर प्रस्तुति ...

जन्मे हैं श्याम
नाच रहे हैं मोर
करें भेंट वे पंख,
बाँस - वनों में
मन ही मन कहें-
मुरली तो बनूँ मैं ।

कैसी बावरी
साँवरे की बाँसुरी
नेह लगाया
होंठों से लगने को
सीना भी छिदवाया।...बहुत मोहक ...हार्दिक बधाई !!

सादर
ज्योत्स्ना शर्मा